क्या पता था ,
खामोश पलों के दामन में ये रंग भी आएगा,
इन ऊँची नीची राहों में तू इस तरह साथ निभायेगा,
मुझे पढने की तेरी आदत भी क्या खूब असर कर जाएगी,
झुकी निगाहों में भी मंजिल की राह नज़र आएगी,
कि अब चलो - नज़र न लगे एक दूजे की ,
फिर से इस खामोश पल को रंग दो,
एक कदम और हर एक कदम साथ चलो।
खामोश पलों के दामन में ये रंग भी आएगा,
इन ऊँची नीची राहों में तू इस तरह साथ निभायेगा,
मुझे पढने की तेरी आदत भी क्या खूब असर कर जाएगी,
झुकी निगाहों में भी मंजिल की राह नज़र आएगी,
कि अब चलो - नज़र न लगे एक दूजे की ,
फिर से इस खामोश पल को रंग दो,
एक कदम और हर एक कदम साथ चलो।